एक नौकरी पाने के लिए प्राची ने आवेदन भेजा था और अब उसे साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। वह एक मेधावी छात्रा थी और स्नातक की उपाधि बड़े अच्छे अंकों से प्राप्त की थी। साक्षात्कार का निमंत्रण पाकर वह फूली नहीं समा रही थी। साक्षात्कार में सफल होने के लिए वह दिन रात मेहनत करने लगी। तैयारी करने के लिए उसने अनेक पुस्तकें ख़रीद लीं, नोट्स तैयार करने लगी और एक प्रशिक्षण केंद्र में दाख़िला भी ले लिया। वह हर हाल में साक्षात्कार में सफल होना चाहती थी। इतनी मेहनत करने के पश्चात् उसे विश्वास हो गया था कि उसका साक्षात्कार सफल होगा और उसका चयन हो जाएगा। निश्चित तिथि को वह साक्षात्कार के लिए निर्धारित स्थान पर पूरी तैयारी के साथ पहुँच गई। इस नौकरी को पाने के लिए वहाँ पर और भी बहुत सारे उम्मीदवार आए हुए थे। साक्षात्कार आरम्भ होने में अभी समय था और एकत्र उम्मीदवार आपस में वार्तालाप करने लगे। हर उम्मीदवार एक दूसरे की योग्यता व अनुभव जानना चाह रहा था। प्राची उम्मीदवारों के वार्तालाप को बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसे जानकर हैरानी हुई कि बाक़ी सब उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यताएँ उससे अधिक थीं और उसकी शिक्षा सबसे कम थी। उन्हें नौकरी करने का अनुभव भी था और वे सब प्राची से अच्छी अँग्रेज़ी बोल लेते थे। दूसरे उम्मीदवारों की योग्यता, उनका अनुभव और अँग्रेज़ी भाषा का ज्ञान अपने से अधिक जानकर प्राची के मन में अपनी सफलता पर शक होने लगा। हतोत्साहित होकर वह यह भूल गई कि स्वयं उसने भी इस साक्षात्कार के लिए दिन रात जाग कर कड़ी मेहनत की है और यहाँ पूरी तैयारी के साथ आई है। अभी वह कुछ सोच ही रही थी कि वहाँ स्वाति नाम की एक और लड़की साक्षात्कार के लिए आ गई। स्वाति को देखकर प्राची की बाँछें खिल गईं। दोनों सहेलियाँ थीं और एक ही स्कूल में साथ-साथ पढ़ती थीं। जाने पहचाने चेहरे को देखकर प्राची को बड़ा सुकून मिला। बाकी सब उम्मीदवार तो अनजान लोग थे। स्वाति ने नए फ़ैशन की बहुत सुंदर ड्रेस पहन रखी थी। उसके हाथों में बहुत कीमती मोबाइल फ़ोन था। वह मंद मंद मुस्करा भी रही थी। बहुत सारे उम्मीदवारों की निगाहें स्वाति को देखने लगी। स्वाति को पहली बार यहाँ देखकर प्राची को जो प्रसन्नता हुई थी वह उसकी चमक दमक को देखकर गायब हो गई। अब प्राची मन ही मन घबराने लगी। स्वाति के रोबदार व्यक्तित्व को देखकर उसे लगने लगा वह साक्षात्कार में सफल हो जाएगी। इससे उसके मस्तिष्क में तनाव बढ़ने लगा और वह नर्वस हो गई। उसे असफल होने का डर सताने लगा। वह हीन भावना की शिकार हो गई जिससे उसकी तबियत बिगड़ने लगी। इससे पहले कि लोग उसे हँसी का पात्र बनाएँ उसने साक्षात्कार में भाग न लेने का फ़ैसला कर लिया। असफल होने से उसकी बदनामी होगी लेकिन बीमारी के बहाने से वह अपनी असफलता को छुपा सकती थी। यह सोचकर प्राची बिना साक्षात्कार में भाग लिए वहाँ से चली गई। एक सप्ताह के बाद स्वाति प्राची की तबियत का हाल जानने के लिए उसके घर पहुँच गई। स्वाति प्राची से उसकी सेहत के बारे में बात करना चाहती थी लेकिन प्राची के मन में साक्षात्कार का परिणाम जानने की उथल-पुथल मची हुई थी। दूसरे उम्मीदवारों की उच्च शिक्षा और उनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए प्राची को लग रहा था कि स्वाति का चयन भी नहीं हुआ होगा। स्वाति ने उसे बताया कि साक्षात्कार में उसने भाग लिया था और उसका चयन भी हो गया है। अब प्राची को लगने लगा हो न हो स्वाति का चयन उसकी योग्यता के बल पर नहीं बल्कि उसकी फैशनेबल पोषाक और कीमती मोबाइल फ़ोन के कारण हुआ होगा। स्वाति ने प्राची को बताया कि कम्पनी ऐसे उम्मीदवारों का चयन करना चाहती थी जो फ्रेश हों जिन्होंने हाल ही में स्नातक की परीक्षा पास की हो ताकि कम्पनी उन्हें अपनी ज़रूरत के अनुसार प्रशिक्षण दे कर कार्य के लिए तैयार कर सके। साक्षात्कार मण्डल उम्मीदवारों का चयन उनके अंकों की आधार पर या उनके अनुभव के आधार पर नहीं कर रहा था। उनको ऐसे उम्मीदवारों की खोज थी जो साधारण प्रकृति के हों, जिनमें मानवीय गुण हों और जो अपने आप को कम्पनी की संस्कृति के अनुसार ढाल सकते हों। प्राची को यह जानकर बहुत दुःख हुआ। उसने एक सुनहरा अवसर अपनी हीन भावना के कारण छोड़ दिया था। वह अपने आप को दूसरों के मुकाबले कम आँकती रही। उसे यह जानकर भी हैरानी हुई कि जिस स्वाति को वह उसकी पोशाक व कीमती मोबाइल के कारण अपने से अधिक योग्य समझ रही थी वह स्वाति भी साक्षात्कार से पहले घबरा गई थी और उसके पसीने छूट गए थे। लेकिन अपनी घबराहट को उसने आड़े नहीं आने दिया और नर्वस होने के बावजूद साक्षात्कार में भाग लेने का निश्चय कर लिया। उसने यह सोच कर साक्षात्कार में भाग लिया कि यदि उसे नौकरी न भी मिली तो कम से कम साक्षात्कार में भाग लेने का अनुभव तो प्राप्त हो ही जाएगा। यह स्वाति का आत्म-विश्वास था जिसके बल पर उसे सफलता प्राप्त हुई थी। अब प्राची को ज्ञात हुआ कि उसके हाथ से अवसर खो जाने का कारण न तो उसकी योग्यता की कमी थी न ही उसके अनुभव की कमी। उसने यह अवसर अपनी हीन भावना के कारण खोया था।
दोस्तों उम्मीद करता हु की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद आया होगा। अगर अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिये और कमेंट भी जरूर बताना aapka dost Ravinder Maurya
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