What is the Direct Selling

 दुकानों के जरिए सेल करने के बजाय कंज्यूमर्स को सीधे बेचती हैं...

डायरेक्ट सेलिंग कंपनी क्या है?

What is a direct selling company?

डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज दुकानों के जरिए सेल करने के बजाय कंज्यूमर्स को सीधे बेचती हैं। ये इंडिपेंडेंट सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स के जरिए पर्सन-टू-पर्सन बेसिस पर सेलिंग करती हैं। awpl asclepius Wellness  डायरेक्ट सेलिंग कंपनी हैं।



ये कैसे ऑपरेट करती है

How does it operate

डायरेक्ट सेलिंग कंपनी इंडिपेंडेंट सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स का नेटवर्क बनाती है, जो अपने पर्सनल नेटवर्क या कॉन्टैक्ट यूज करके प्रॉडक्ट्स बेचते हैं। ये कंपनी के एंप्लॉयी नहीं होते। ये लोग सेल्फ एंप्लॉयड माने जाते हैं और उन्हें कमिशन मिलता है। आजकल डायरेक्ट सेलर्स इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल भी करते हैं।

Sales प्रेजेंटेटिव्स कैसे कमाते हैं

How to make sales representatives


डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां दो तरह की होती हैं- सिंगल लेवल मार्केटिंग (एसएलएम) और मल्टिलेवल मार्केटिंग (एमएलमए)। एसएलएम कंपनियां सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स को उनकी पर्सनल सेल्स ऐक्टिविटी पर इनकम का एक हिस्सा कमिशन देती हैं। एमएलएम में सेल्स रिप्रेजेंटेटिव दूसरे लोगों को सेल्स टीम से जोड़कर अपना डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क खड़ा कर सकते हैं। उन्हें अपने रिक्रूट्स की सेल्स पर कमिशन या बोनस मिलता है। यह इंडिया में डायरेक्ट सेलिंग का सबसे पॉप्युलर मॉडल है।

इंडस्ट्री को रेग्युलेट करने वाले लॉ क्या हैं

What are the laws regulating the industry


इंडिया में डायरेक्ट सेलिंग के लिए क्लीयर पॉलिसी फ्रेमवर्क या रेग्युलेशन नहीं है। डायरेक्ट सेलिंग के कुछ कामकाजी पहलू मौजूदा नियमों के तहत कवर होते हैं। इससे इसमें क्लैरिटी नहीं आती है और परिभाषा को लेकर दिक्कत होती है।

डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री विवादस्पद क्यों है

What are the laws regulating the industry


कई मल्टि लेवल कंपनियों के डायरेक्ट सेलिंग असोसिएशन ऑफ द यूएस और प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन बैनिंग ऐक्ट, 1978 के तहत बनाए गए नियमों का पालन नहीं करने से इंडस्ट्री विवादों में फंस गई। नियम कहते हैं कि चेन का कोई भी मेंबर सिर्फ नया सेल्सपर्सन रिक्रूट करके या रेफर करके कमाई नहीं कर सकता। अगर मेंबर्स को सिर्फ रिक्रूटमेंट से कमाई होती है तो चेन पोंजी स्कीम बन जाती है जिसमें लोगों की इनकम तब बढ़ती है, जब नए लोग इसमें (इनसे पिरामिड का बेस बनता है) जुड़ते हैं। नियम के हिसाब से रिक्रूटर को इनकम तभी होनी चाहिए, जब वह कुछ सेल करे। सेल से नई इकनॉमिक ऐक्टिविटी शुरू होती है और सेलर के कमीशन को चेन में शामिल दूसरे लोगों में बांटा जा सकता है। जो मल्टि लेवल मार्केटिंग कंपनियां नए रिक्रूट्स को बेची जाने वाली स्टार्ट अप मार्केटिंग किट की कॉस्ट को रिक्रूटर्स की सेल्स के तौर पर लेती हैं वो एक तरह से नए सेलर की रिक्रूटमेंट से कमाई करती हैं।

डायरेक्ट सेलिंग फर्म्स क्यों कहती हैं कि प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन बैनिंग ऐक्ट, 1978 प्रभावी नहीं है

Why Direct Selling Firms Say Prize Chits and Money Circulation Banning Act, 1978 is not effective 


उनका कहना है कि डायरेक्ट सेलिंग सिस्टम प्राइज चिट्स स्कीम से हर तरह अलग है। वो ऐसी कोई स्कीम नहीं चलाते, जो लोगों को डिस्ट्रिब्यूटर बनाकर रातोरात अमीर बनाने का सपना दिखाता हो। डिस्ट्रिब्यूटर्स का कमिशन पेमेंट या सेल्स इनसेंटिव सीधे एंड यूजर्स को प्रॉडक्ट्स सेल बेस्ड परफॉर्मेंस से जुड़ा रहता है। वे सिर्फ नए डिस्ट्रिब्यूटर बनाकर कमाई नहीं कर सकते।

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AWPL asclepius Wellness

Ravindra Maurya

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Milan Tomic

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