नकारात्मक से सकारात्मक
"बोलो तो अनमोल है हर कोई बोले बोलो हिए तराजू तोल के तब मुख बाहर खोल"
कबीरदास ने कहा है कि मनुष्य को अपनी वाणी के मूल्य को समझना चाहिए
उसे कभी निरर्थक बातें नहीं करनी चाहिए और बोलने से पहले शब्दों को हृदय के तराजू में तौल लेना चाहिए क्योंकि बड़े लोग कोई अलग तरह से नहीं बोलते बल्कि बोलने के लिए वह सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं
क्योंकि जिंदगी की चुनौतियों का साधारण सकारात्मक सोच से किया जाता है तभी तो किसी शायर ने कहा है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है।
मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं।
नकारात्मक सोच से बचाव -
नकारात्मक सोच आपके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी शत्रु है इसलिए इससे बचने का प्रयास करें लेकिन ऐसी सोच से बचने का एक तरीका है कि आप आशावादी लोगों के साथ रहें और उनकी बातें ध्यान से सुने मनोचिकित्सकों का कहना है कि डिप्रेशन की स्थिति में मन के नकारात्मक विचार ज्यादा आते हैं
ऐसे विचार आपको सक्रिय करने के बजाय सुस्त बनाते हैं लेकिन कोई भी व्यक्ति प्रयास किए बगैर कुछ नहीं प्राप्त कर सकता और नकारात्मक नजरिए की स्थिति में वह प्रयास नहीं कर सकता क्योंकि आपका नजरिया ही आपको सफल या विफल बनाता है
सकारात्मक सोच का असर -
इतिहास गवाह है कि निराशा और थके हुए लोगों ने कभी भी कामयाबी हासिल नहीं की यह बात अलग है कि सकारात्मक सोच से सारी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता लेकिन इसके लिए आप विपरीत स्थितियों में भी सुकून से रह सकते हैं
आप कैसा सोचते हैं
कैसा महसूस करते हैं
यह सब आपको आचरण पर निर्भर करता है क्योंकि
प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक संरचना अलग होती है
दोस्तों उम्मीद करता हु की आपको ये पोस्ट जरूर पसंद आया होगा। अगर अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिये और कमेंट भी जरूर बताना aapka dost RAVINDRA MAURYA
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
Please Do Not enter Spam Link in th comment Box